काल सर्प दोष

काल सर्प दोष एक ज्योतिषीय स्थिति है, जो जन्म कुंडली में ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण बनती है। जब सभी सात ग्रह (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि) राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं, तब इसे काल सर्प दोष कहा जाता है।
इस दोष को अशुभ माना जाता है क्योंकि यह जीवन में बाधाएँ, संघर्ष और मानसिक तनाव पैदा कर सकता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को आर्थिक समस्याएँ, पारिवारिक कलह, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ और करियर में रुकावटों का सामना करना पड़ता है।
काल सर्प दोष के निवारण के लिए ज्योतिष में विशेष पूजा, मंत्र जाप और हवन का सुझाव दिया जाता है, जैसे कि महामृत्युंजय मंत्र और राहु-केतु शांति पूजा। उज्जैन, त्र्यंबकेश्वर और काशी जैसे पवित्र स्थानों पर विशेष अनुष्ठान करने का महत्व बताया गया है।
काल सर्प दोष के प्रभाव:
- जीवन में बार-बार बाधाएँ और असफलताएँ।
- आर्थिक तंगी और करियर में रुकावटें।
- मानसिक तनाव और भय।
- पारिवारिक कलह और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ।
- विवाह में देरी या वैवाहिक जीवन में परेशानियाँ।
काल सर्प दोष क्या होता है और इसका समाधान?
- नाग नागिन की पूजा: भगवान शिव के मंदिर में नाग-नागिन की मूर्ति की पूजा करें।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप: 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- राहु-केतु शांति पूजा: किसी विद्वान पंडित से राहु-केतु शांति अनुष्ठान कराएँ।
- भगवान शिव की आराधना: प्रतिदिन शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित करें।
- त्र्यंबकेश्वर (नासिक), उज्जैन या काशी में पूजा: इन स्थानों पर विशेष काल सर्प दोष निवारण पूजा का महत्व है।
- शनिवार के दिन दान: गरीबों को काले तिल, काले कपड़े और लोहे का दान करें।
- नवनाग स्तोत्र का पाठ: नियमित रूप से नवनाग स्तोत्र या राहु स्तोत्र का पाठ करें।